कुछ बातें कुछ कही सी, कुछ अनकही सी। कुछ बातें कुछ कही सी, कुछ अनकही सी।
एक सपने का टुकड़ा जोड़कर, मैंने जिन्दगी से इश्क किया था। एक सपने का टुकड़ा जोड़कर, मैंने जिन्दगी से इश्क किया था।
कभी उदास और कभी खामोश सी ये जिंदगी कभी हरियाली सी कभी पतझड़ सी ये जिंदगी ! कभी उदास और कभी खामोश सी ये जिंदगी कभी हरियाली सी कभी पतझड़ सी ये जिंदगी !
कभी तू जिंदगी बन मुस्करा कर कुछ कहती रहीमैं बिना सुने दर्द की तरह घसीटता रहा कभी तू जिंदगी बन मुस्करा कर कुछ कहती रहीमैं बिना सुने दर्द की तरह घसीटता रहा
एक अनकही... एक अनकही...
मन में जगा घोर वीतराग, कैसे ख़ुद से मोह जगाऊं ? मन में जगा घोर वीतराग, कैसे ख़ुद से मोह जगाऊं ?